आचारà¥à¤¯ चरक ने शरीर के संà¤à¤‚ध म कहा है कि
1.आहारसमà¥à¤à¤µà¤®à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥à¥¤à¥¤
2.दोषधातà¥à¤®à¤²à¤®à¥‚लं हि शरीरं।।
3.दोषधातà¥à¤®à¤²à¤¾ मूलं सदा देहसà¥à¤¯à¥¤à¥¤
4.None
इनमे से कौनसा मानसिक दोष नही है?
1.रज
2.तम
3.सतà¥à¤µ
4.None
कोनसा वाकà¥à¤¯ सही है ??
1.कफ अपने विसरà¥à¤— करà¥à¤® से शरीर को धारण करता है
2.वात अपने विछेप करà¥à¤® से शरीर को धारण करता है
3.पितà¥à¤¤ अपने आदान करà¥à¤® से शरीर को धारण करता है
4.सà¤à¥€ सही है
जो शरीर का धारण करे उसे कà¥à¤¯à¤¾ कहते है?
1.धातà¥
2.दोष
3.मल
4.सà¤à¥€
जो शरीर को दूषित करे उसे __कहते है
1.धातà¥
2.मल
3.दोष
4.None
जो शरीर को मलिन करे उसे
1.धातॠव मल कहते है
2.दोष व धातॠकहते है
3.मल कहते है
4.दोष कहते है
दोष धातॠमल मूलम हि शरीरं।। किस आचारà¥à¤¯ का शà¥à¤²à¥‹à¤• है
1.चरक
2.सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤
3.à¤à¤¾à¤—à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ
4.None
नाà¤à¤¿ और हृदय के बीच में किसका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है??
1.पितà¥à¤¤
2.कफ
3.वात ओर पितà¥à¤¤
4.कफ और वात
नाà¤à¤¿ के नीचे किस दोष का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है
1.कफ
2.पितà¥à¤¤
3.वात
4.पितà¥à¤¤ और वात
पंचमहाà¤à¥‚त के विकार समहू तथा आतà¥à¤®à¤¾ के आशà¥à¤°à¤¯à¤à¥‚त को कà¥à¤¯à¤¾ कहते है ??
1.शारीर दोष
2.à¤à¥‚तातà¥à¤®à¤¾
3.शरीर
4.गरà¥à¤
मन को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने बाले कारण है??
1.सतà¥à¤µ
2.रज
3.तम
4.All
मानसिक दोष है ?
1.वात
2.पितà¥à¤¤
3.कफ
4.तम
मानसिक दोषो की संखà¥à¤¯à¤¾ है
1.3
2.2
3.1
4.4
शरीर की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कह सकते है कि जिसमे
1.पंचमहाà¤à¥‚त का विकार समहू हो
2.आतà¥à¤®à¤¾ का वास हो
3.आंतर कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡ समà¥à¤¯à¤• à¤à¤¾à¤µ से हो रही हो
4.All
शरीर के उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के कारण है
1.वात
2.पितà¥à¤¤
3.कफ
4.All
शरीर के मूल है ?
1.दोष, धातà¥, मल
2.सिरà¥à¤« मल
3.सिरà¥à¤« धातà¥
4.सिरà¥à¤« दोष
शरीर दोष है
1.सतà¥à¤µ
2.रज
3.तम
4.वात
शारीरिक दोष कितने है ?
1.2
2.3
3.4
4.5
हिताहितं सà¥à¤–ं दà¥à¤–ं.... स उचà¥à¤¯à¤¤à¥‡à¥¤ किसका शà¥à¤²à¥‹à¤• है ??
1.चरक
2.सà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤
3.बागà¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ
4.None
हृदय के ऊपर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है
1.वात का
2.कफ का
3.पितà¥à¤¤ का
4.किसी का नही